अक्सर आम लोग अपमान का बदला तत्काल ले लेते हैं, लेकिन महान लोग उसे अपनी सफलता की सीढ़ी बना लेते हैं।
बात तब की है जब टाटा समूह ने 1998 में टाटा
इंडिका कार बाज़ार में निकली थी|
यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था और इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत भी
की थी
टाटा इंडिका कार को मार्किट में रिस्पोंस अच्छा
नहीं मिला| जिस कारण
से कुछ सालो में टाटा मोटर्स घाटे में जाने लगी
तब कुछ करीबी लोगों और साझेदारों ने रतन
टाटा को अपना कार व्यापार में हुए नुकसान की पूर्ति के लिए अपना कार व्यापार किसी
और कंपनी को बेचने का सुझाव दिया
रतन टाटा ने भी यह सुझाव ठीक समझा|
वे साझेदारों के साथ अपनी कार कंपनी बेचने
का प्रस्ताव फोर्ड कंपनी के पास लेकर गए| फोर्ड कंपनी अमेरिका में बनने वाली कारों
का केंद्र थी|
फोर्ड कंपनी के साथ रतन टाटा और उनके
साझेदारों की मीटिंग करीब तीन घंटे तक चली| फोर्ड कंपनी के चेयरमैन बिल फोर्ड ने रतन
टाटा के साथ कुछ रुखा व्यव्हार किया और बातों ही बातों में ये कह दिया कि “जब
तुम्हे इस व्यापार के बारे में कोई जानकारी नहीं है तो फिर तुमने इस कार को लांच
करने में इतना पैसा क्यूँ लगाया. हम तुम्हारी कंपनी खरीद कर तुम पे बहुत बड़ा अहसान करने जा
रहे हैं |
मीटिंग के बाद रतन टाटा (Ratan Tata) ने तुरंत वापस लौटने का फैसला किया| और वे बिना डील फाइनल किए रत को हि
भारत वापस आ गये
फोर्ड की बात रतन टाटा के दिल पे लग गयी और उन्होंने टाटा
मोटर्स को सफल बनाने के लिए अपना जी जान लगा दिया
कुछ ही वर्षों में रतन टाटा का कार बिज़नेस एक अच्छी खासी लय में
आगे बढने लगा और बेहद मुनाफे का व्यवसाय साबित हुआ|
वहीँ दूसरी तरफ फोर्ड कंपनी (Ford Motors) नुकसान मैं जा रही थी|
फोर्ड कंपनी सन 2008 के अंत तक
लगभग दिवालिया होने की कगार पर थी|
तब रतन टाटा ने फोर्ड कंपनी के सामने उनके
लक्ज़री कार ब्रांड जैगुआर-लैंड रोवर (Jaguar Land rover) को खरीदने का
प्रस्ताव रखा और बदले में फोर्ड को अच्छा ख़ासा दाम देने की पेशकश की|
चूँकि बिल फोर्ड
पहले से ही जैगुआर-लैंड रोवर की वजह से घाटा झेल रहे थे तो उन्होंने यह प्रस्ताव
सहर्ष स्वीकार कर लिया|
बिल फोर्ड बिल्कुल
उसी तरह अपने साझेदारों के साथ बॉम्बे हाउस (बॉम्बे हाउस टाटा समूह का मुख्यालय
है) पहुंचे जैसे कभी रतन टाटा बिल फोर्ड से मिलने उनके मुख्यालय गए थे|
मीटिंग में ये तय हुआ कि जैगुआर-लैंड रोवर
ब्रांड 9300 सौ करोड़ में
टाटा समूह के अधीन होगा और वेसा ही हुआ|
इस बार भी बिल फोर्ड ने वही बात दोहराई जो
उन्होंने मीटिंग में रतन टाटा से कही थी बस इस बार बात थोड़ी सकारात्मक थी.
उन्होंने कहा की “आप
हमारी कंपनी खरीद कर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं ”
आज जैगुआर-लैंड रोवर टाटा समूह का हिस्सा
है
रतन टाटा चाहते तो उसी समय बिल फोर्ड के
साथ हुई मीटिंग में उनकी बात का जवाब दे देते, लेकिन महान लोग अपनी सफलता से लोगों को जवाब दिया करते हैं। यही वो गुण है जो एक सफल और एक महान इंसान के बीच का अंतर
दर्शाता है|
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